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नरेंद्र गिरी की मौत से हिंदुओं में खुशी की लहर, बोले –  नरेंद्र गिरी निकला खुद फर्जी संत, संतो को सताने की मिल गई सजा

प्रयागराज ( अमन बग्गा) अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध हालात में मौत हो गई है। यहां बाघंबरी मठ में ही नरेंद्र का शव पंखे से लटका मिला है।

पुलिस ने बताया कि कमरा अंदर से बंद था। उसके कमरे से सुसाइड नोट भी मिला है। इसमें एक शिष्य के बारे में काफी चर्चा है

 बताया जा रहा है कि वह लगातार तनाव में रह रहा था । अपने शिष्य आनंद गिरी से उस का पुराना विवाद भी चल रहा था। 

नरेंद्र गिरी की मौत से हिंदुओं में खुशी की लहर, बोले –  नरेंद्र गिरी  निकला खुद फर्जी संत, संतो को सताने की मिली सजा

नरेंद्र गिरी के निधन की खबर आते ही यहां एक और संत समाज के साथ ही राजनीतिक दलों और उन के भक्तों व हिन्दू समाज में भी शोक की लहर है।

वही दूसरी तरफ से लाखों लाखों हिंदु करोड़ों हिन्दू ऐसे भी है जिन में खुशी की लहर है । लोगों का कहना है कि इस नरेंद्र गिरी के साथ तो ऐसा ही होना था क्यों कि नरेंद्र गिरी ने राजनीतिक दवाब और धर्मान्तरण वालों के इशारों पर भारत के महान हिन्दू संत पूज्य संत श्री आशाराम जी बापू का नाम फर्जी संतो की सूची में शामिल किया था। जिस के बाद नरेंद्र गिरी के खिलाफ बापू जी के एक युवा साधक ने जालंधर पंजाब की कोर्ट में केस ठोक दिया था, कोर्ट से तो सजा नही मिली मगर भगवान ने ही इस फर्जी नरेंद्र गिरी को मौत की ही सजा दे दी।

वही भक्तों का कहना है कि जो भी ब्रह्मज्ञानी संतो को सताता है उन की निंदा करता है संत तो कुछ नही कहते मगर प्रकृति निंदकों की अंत में नरेंद्र गिरी जैसी हालत करती है।

फर्जी संत निकला नरेंद्र गिरी

भक्तों ने कहा कि एक तरफ बापू जी के खिलाफ देश भर में 21वी शताब्दी का सब से खतरनाक कुप्रचार किया गया । इतना ही उन्हें झूठे केस में फंसा कर जेल में डाल दिया गया।  8 वर्ष से आज तक बीमार होने के बावजूद न बेल मिली न पेरोल, लेकिन पूज्य बापू जी फिर भी कभी दुखी परेशान उदास नही देखे गए। सच्चे संत की यही तो पहचान होती है कि बड़े से बड़े दुख में भी वह प्रसन्न रहते है ।

वही दूसरी और नरेंद्र गिरी ने आत्महत्या करके खुद ही साबित कर दिया कि वह खुद ही फर्जी था। थोड़े से दुख से अशांत दुखी परेशान होकर खुदकुशी कर बैठा।

अगर नरेंद्र गिरी सच्चा संत होता तो वह दुख परेशानी में सम रहता।  आत्महत्या कर के हिंदूओ का सिर शर्म से झुकाने वाला दुष्कृत्य नही करता।

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