You are currently viewing बाइक की टक्कर से हुई बछड़े की मौत, पंचायत से सुना दिया अजीबोगरीब फरमान- जानकर नहीं होगा यकीन

बाइक की टक्कर से हुई बछड़े की मौत, पंचायत से सुना दिया अजीबोगरीब फरमान- जानकर नहीं होगा यकीन

विदिशा: मध्य प्रदेश के विदिशा में एक पंचायत ने अजीबोगरीब फरमान जारी किया है। दरअसल एक शख्स की गलती से एक बछड़े की जान चले गई जिसके बाद पंचायत बैठ गई। पंचायत में फैसला हुआ है जिस शख्स की गलती की वजह से गाय के बछड़े की जान गई है उसे ‘अपराध का प्रायश्चित’ करने के लिए अपनी नाबालिग बेटी की शादी करनी होगी। पंचायत के फैसले के बाद शख्स नाबालिग बेटी की शादी के लिए भी तैयार हो गया लेकिन ऐन वक्त पर पुलिस के पहुंचने से विवाह संपन्न नहीं हो सका।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कुछ महीने पहले एक शख्स अपने दोपहिया वाहन से जा रहा था कि तभी गलती से एक बछड़ा बीच रोड़ में आ गया और उसकी मौत हो गई। इसके बाद उस शख्स ने गंगा स्थान किया और गांव वालों को दावत या भोज देने को भी तैयार हो गया लेकिन गांव वालों ने ऐसा मानने से इनकार कर दिया। गांवों वालों ने कहा कि उसे अपनी नाबालिग बेटी की शादी करनी होगी।

जैसे ही राज्य महिला और बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) विभाग और पुलिस टीम को यह सूचना मिली कि लड़की नाबालिग है तो वह शुक्रवार को तुरंत गांव पहुंची। परिवार ने प्रशासनिक कार्रवाई का विरोध किया और स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि लड़की नाबालिग है। डब्ल्यूसीडी की पर्यवेक्षक अनीता मौर्य ने कहा कि सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट ने उनसे बाल विवाह के बारे में जांच करने के लिए गांव में जाने को कहा है। उन्होंने बताया कि लड़की और उसके माता-पिता अनपढ़ हैं और अपने दावे का समर्थन करने के लिए दस्तावेज नहीं दे सके। आधार कार्ड में लड़की की जन्म तिथि 1 जनवरी, 2007 की है जिसके अनुसार वह नाबालिग है।

मौर्या ने बताया, ‘जब टीम गांव में पहुंची तो वहां शादी की तैयारियां चल रही थीं और बहुत से रिश्तेदार मौजूद थे। टीम को बताया गया कि दूल्हा आने वाला है। हमारे पास अवैध शादी को रोकने के लिए कोई विकल्प नहीं था क्योंकि लड़की नाबालिग है।’ टीम ने परिवार के सदस्यों से एक लिखित में लिया कि 18 वर्ष की होने तक लड़की की शादी नहीं होगी। परिवार के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है।

आज भी प्रचलित है प्रथा
राज्य के कुछ हिस्सों में यह प्रथा आम है कि यदि गलती से कोई गाय मारी जाती है तो उस पर सामाजिक प्रतिबंध लगाए जाते हैं। इन प्रतिबंधों में गाय को मारने वाले शख्स को या तो गंगा स्नान करके गांव वालों को दावत देनी होती है या फिर कभी-कभी उसे अपनी नाबालिग बेटी की शादी करने को कहा जाता है। पंचायत के फैसले में ये नहीं देखा जाता है कि बेटी की उम्र क्या है बस उसे मानना होता है। ग्रामीणों का गाय की हत्या करने वाले को अपराधी की नजर से देखते हैं और उनका मानना है कि पाप से छुटकारा पाने का एकमात्रा उपाय ही कन्यादान है।