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जालंधर अर्बन एस्टेट में थाना 7 से कुछ सौ मीटर की दूरी पर स्कूल के सामने बेख़ौफ़ चल रहा हुक्का बार, नाबालिगों व युवा पीढ़ी को नशे की दलदल में धकेल कर अपनी जेबें भरने में लगा नशे का सौदागर

जालंधर ( अमन बग्गा) युवाओं की हुक्के के प्रति बढ़ती रुचि को भांप नशे के कारोबारी व पेसो के लालची हुक्का बार खोलकर युवा पीढ़ी को नशे की दलदल में धकेल कर अपनी जेबें भरने में लगे हुए है। वही जालंधर पुलिस प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा हुआ है।
युवा लड़के लड़कियां ही नही बल्कि नाबालिग भी इन हुक्का बारों में हुक्के की कश लेकर हवा में धुएं को छल्ले की तरह उड़ा अपना भविष्य बर्बाद कर रहे है।

इन में से हुक्के के आदी हो चुके कई युवा ऐसे भी है जिन के पास नशे की लत को पूरा करने के लिए प्राप्त पैसे नही होते ऐसे में यह युवा नशे की लत को पूरा करने के लिए लूटपाट चोरी डकैती आदि जैसे अपराध करने से भी नहीं चूकते।

जालंधर थाना 7 पुलिस प्रशासन के नाक के नीचे, एसीपी मॉडल टाउन के कार्यालय से कुछ सौ मीटर की दूरी पर स्थित गुरुद्वारे के नजदीक बच्चों के स्कूल के सामने बेखौफ चल रहे हुक्का बार जहां एक और नशे के सौदागरों की दादागिरी का ढिंढोरा पीट रहा है, वही दूसरी और थाना 7 पुलिस प्रशासन की नालायकी व लापरवाही से भी परिचित करा रहा है।

इतना ही नही मॉडल टाउन अर्बन एस्टेट गढ़ा रोड आदि इलाको में कई हुक्का बार धड़ल्ले से चल रहे है। लेकिन पुलिस प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा हुआ है। क्या पुलिस प्रशासन को युवा पीढ़ी के बर्बाद हो रहे भविष्य की रति भर भी फिक्र नही है।

अब देखना यह होगा कि नए पुलिस कमिश्नर गुरशरण सिंह संधू के आने के बाद क्या जालंधर में हुक्का बार की आड़ में हो रहे नशे के कारोबार के खिलाफ पुलिस प्रशासन कोई कार्रवाई करती है या नही।

हजारों खतरनाक रसायन अपने अंदर खींच रहे युवा

रेस्ट्रोरेंट में मिल रहे हुक्का को फ्लेवर और हर्बल समझ युवा पीढ़ी धुंए के बीच डुबती जा रही है। लेकिन उन्हें पता नहीं कि वो हर कश में जह़र अपने शरीर में खींच रहे हैं।

हुक्का बार से युवा पीढ़ी नशे की लत से बर्बाद हो रही है,
फ्लेवर्ड हुक्का के एक कश में हजारों खतरनाक रसायन
फ्लेवर्ड और हर्बल होने के नाम पर हुक्का गुड़गुड़ा रहे युवाओं को पता नहीं है कि इसके एक कश के साथ हजारों खतरनाक रसायन अपने अंदर खींच रहे हैं। हुक्का कोयले से जलाया जाता है। साथ ही इसमें मैलेशिश (शीरा) का प्रयोग होता है। डॉक्टरों का मानना है कि हुक्का में अमोनिया, मेथोनॉल, एसीटोन, नैफ्थेलैमिन, पाइरीन, केडमियम, डाई मैथिल, नाइट्रो सैमीन, कार्बन डाइमोनोआक्साइड, नफ्थैलीन, जैसे कई रासायन बनते हैं और यह सीधे शरीर के अंदर पहुंच जाते हैं। जो कि शरीर के लिए बेहद नुकसानदायक होते हैं।

बीमारियों की वज़ह बन सकता है हुक्का

हुक्का सीगरेट से भी घातक होता है। क्योंकि हु्क्के की तंबाकु का निकोटिन सीधे शरीर में जाता है। हुक्के से कैंसर का सबसे ज्यादा खतरा होता है। इसके साथ ही हार्ट से जुड़ी परेशानी, टीबी, नपुंसकता की संभावना काफी ज्यादा होती है।