रिश्वत कांड पार्ट-2: एटीपी व इंस्पेक्टर डकार गए सरकार का रेवेन्यू! गुलाबी नोटा दा कमाल! भृष्ट अधिकारी जिस दे नाल ओ कॉलोनाइजर अते बिल्डर किवे न होन मालामाल, अवैध निर्माण पर इतनी मेहरबानी क्यों ? जागो मुख्यमंत्री चन्नी साहिब….. सो रही विजिलेंस को भी जगाओ
जालंधर(अमन बग्गा) जेडीए व नगरनिगम के अंडर में पड़ता एरिया अवैध कॉलोनियों व अवैध दुकानों बिल्डिंगों के मकड़जाल में बुरी तरह फसा पड़ा हैं। बिना पास करवाये धड़ल्ले से अवैध कॉलोनियां , एक साथ दर्जनों दुकानें व बड़ी बड़ी बिल्डिंगे बन रही है और कोई कार्रवाई न करना ये जेडीए व नगर निगम का इतिहास है।
हालांकि कुछेक कॉलोनियों पर डिच चलाकर व कुछ कॉलोनाइजरो पर एफआईआर दर्ज कर अधिकारी खानापूर्ति सी जरूर कर रहे है।
लेकिन नगर निगम व जेडीए के कुछेक अधिकारियों की मेहरबानी से अवैध कॉलोनी काटने वाले कॉलोनाइजर रूल एंड रेगुलेशन की धज्जियां उड़ाते हुए मोटी कमाई कर करोड़पति बन चुके है। अब तो शहर में यह चर्चा भी जोरों शोरों पर है कि जिस दे नाल कुछ भृष्ट अधिकारी हो वो अधिकारी भी मालामाल और कॉलोनाइजर व बिल्डर भी।
इसी लिए तो अवैध निर्माण करने वालो को न तो नगर निगम व जेडीए के सीनियर अधिकारियों का कोई डर है न तो इन को पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी साहिब का कोई डर है ।
क्या नगर निगम के एटीपी रविंदर व इंस्पेक्टर निर्मलजीत वर्मा डकार गए सरकार का रेवेन्यू
अब इसी कड़ी में नगर निगम के एटीपी रविंदर व इंस्पेक्टर निर्मलजीत वर्मा की नालायकी से तल्हन रोड पर पंजाब एंड सिंध बैंक के साथ डबल स्टोरी अवैध शोरूम बन रहा है। जिस की शिकायत आशीष अरोड़ा व कुणाल कोहली की तरफ से की जा चुकी है। अब अगर एटीपी व इंस्पेक्टर इस शिकायत के बाद कोई कार्रवाई नही करते तो यह साफ हो जाएगा कि एटीपी व इंस्पेक्टर की जेबों को गुलाबी नोटों से भरा जा चुका है। यह अवैध बिल्डिंग भी रिश्वतख़ोरी की भेंट चढ़ गई है और सरकार के खजाने में आने वाला रेवेन्यू नगर निगम के एटीपी व इंस्पेक्टर डकार गए है।
अब देखना यह दिलचस्प होगा कि इस अवैध बिल्डिंग क्या कार्रवाई होती है !
मगर जांच का विषय यह है कि नगर निगम के अधिकारी आखिर किस बात की इतनी मोटी तनख्वाह ले रहे है क्या उन्हें धड़ल्ले से काटी जा रही अवैध कॉलोनियां व बन रही अवैध बिल्डिंगें दिखाई नही देती क्या। आखिर जेडीए के कौन कौन से अधिकारियों की छत्र छाया और संरक्षण की बदौलत यह अवैध कॉलोनियां व अवैध बिल्डिंगें बन रही है।
वही आखिर इस अवैध निर्माणों पर अब तक इतना रहम क्यों किया गया आखिर इस के पीछे नगर निगम के अधिकारियों की नालायकी है या फिर कोई रिश्वतख़ोरी का खेल चला है। यह हम जल्द ही उजागर करेंगे और बताएंगे इस के पीछे पूरा संरक्षण देने वाले असली चेहरे कोन कोन से है।
सो रहे विजिलेंस विभाग के अधिकारी
वही दूसरी और विजिलेंस अधिकारियों को भृष्ट अधिकारी नजर क्यों नही आते । उन्हें भी जांच करनी चाहिए कि इस अवैध निर्माणों को काटने के लिए किन अधिकारियों की जेबों में गुलाबी नोट डाले गए है। जो कि उन्हें अवैध कॉलोनी नजर आनी बन्द हो गयी है। विजिलेंस को जेडीए अधिकारियों की आय व सम्पति की जांच करनी चाहिए। क्या कुछ दाल में काला है या पूरी दाल ही काली हो चुकी है।