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CBSE की अंक सुधार नीति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने लिया अहम फैसला

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने छात्रहित में अहम फैसला देते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की अंक सुधार नीति के प्रावधान-28 को रद्द कर दिया, क्योंकि सीबीएसई मार्क्स इंप्रूवमेंट पॉलिसी के प्रावधान में कहा गया था कि अंक सुधार परीक्षा में प्राप्त अंकों को पिछले शैक्षणिक वर्ष के लिए कक्षा 12वीं के छात्रों के मूल्यांकन के अंतिम अंक के रूप में माना जाएगा।

जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ कर इस मामले की सुनवाई कर रही थी। पीठ ने कहा कि छात्र अपने मूल अंकों को बनाए रखने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि सुधार परीक्षा के अंकों को बनाए रखने से उच्च शिक्षा में प्रवेश लेने में समस्या हो सकती है। पीठ ने आगे कहा कि छात्रों के पास परीक्षाओं के दौरान प्राप्त ‘दो अंकों में से बेहतर’ के बीच चयन करने का विकल्प होना चाहिए।

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही कहा था कि वह दिसंबर, 2021 में मानक फॉर्मूले के अनुसार हासिल किए गए अंकों से 12वीं कक्षा की सुधार परीक्षा में प्राप्त अंकों के इंप्रूवमेंट की अपनी नीति पर पुनर्विचार करे। लेकिन बोर्ड ने सिर्फ आंशिक बदलाव किए थे, जो कोर्ट ने पर्याप्त नहीं माने और सीबीएसई की इंप्रूवमेंट मार्क्स पॉलिसी खारिज कर दी। साथ ही छात्रों को च्वॉइस विकल्प देने के लिए निर्देशित किया।

Supreme Court took important decision regarding CBSE’s marks improvement policy