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बर्खास्तगी के बाद बहाल हुए कर्मचारी की पेंशन को लेकर HC ने सुनाया बड़ा फैसला

चंडीगढ़: बर्खास्तगी की अवधि के लिए कर्मचारी को बहाली के बाद वेतन के लिए पात्र नहीं माना जा सकता है, लेकिन इसे सेवा के हिस्से के रूप में अस्वीकार नहीं किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने पेप्सू रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (पीआरटीसी) को याचिकाकर्ता की बर्खास्तगी के 4 साल की अवधि सहित कुल सेवा अवधि के अनुसार पेंशन तय करने और 3 महीने के भीतर भुगतान करने का निर्देश दिया।

याचिका दाखिल करते हुए संगरूर निवासी नरंजन सिंह ने वकील विकास चतरथ के माध्यम से हाईकोर्ट को बताया कि 1 सितंबर 1973 को पीआरटीसी. में नियुक्त किये गये थे इसके बाद 1976 में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया, जिसके खिलाफ पीआरटीसी के चेयरमैन ने उनकी अपील स्वीकार कर ली और 1980 में उन्हें बहाल कर दिया। हालाँकि, उन्हें एक साल की परिवीक्षा पर रखने का आदेश दिया गया था। जब वह 2010 में सेवानिवृत्त हुए, तो उनकी पेंशन की गणना करते समय बर्खास्तगी के बाद की 4 साल की सेवा को नहीं गिना गया। उन्होंने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी।

हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि पीआरटीसी के चेयरमैन ने उन्हें बहाल करने के आदेश दिये हैं। हालाँकि उन्होंने याचिकाकर्ता को एक वर्ष के लिए परिवीक्षा पर रखने का उल्लेख किया, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि उनकी नियुक्ति ताज़ा थी। ऐसे में जब कर्मचारी बहाल हो जाता है तो उसकी पेंशन की गणना करते समय छंटनी की अवधि को सेवा का हिस्सा मानने से इनकार नहीं किया जा सकता। इन टिप्पणियों के साथ, उच्च न्यायालय ने याचिका स्वीकार कर ली और पीआरटीसी को याचिकाकर्ता की पेंशन की पुनर्गणना कर तीन महीने के भीतर भुगतान करने का आदेश दिया।

HC gives big decision regarding pension of employee reinstated after dismissal