चंडीगढ़: पीजीआई चंडीगढ़ के विशेषज्ञों ने पेट की टीबी के मरीजों की जांच की राह आसान कर दी है। अब इस बीमारी मरीजों का इलाज लक्षण के आधार पर नहीं बल्कि जांच रिपोर्ट के मुताबिक किया जाएगा।
अब तक पेट के टीबी के मरीजों का इलाज लक्षण के आधार पर ही किया जा रहा था। ऐसे में यह बड़ी उपलब्धि है। यही नहीं, एमडीआर यानी मल्टीड्रग रजिस्टेंस वाले टीबी के मरीजों पर दवा कारगर होगी कि नहीं, इसका पता लगाना भी पीजीआई के विशेषज्ञों ने बेहद आसान कर दिया है।
पीजीआई के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के विशेषज्ञों ने 10 वर्षों के शोध के बाद इन दोनों समस्याओं का समाधान तलाश लिया है। इस शोध से टीबी उन्मूलन अभियान को सफल बनाने में भी काफी मदद मिलेगा क्योंकि सिर्फ भारत में ही नहीं विश्व में एमडीआर टीबी का इलाज परेशानी का सबब बना हुआ है।
इस शोध के विशेषज्ञ व गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डॉ. एसके सिन्हा ने बताया कि लाइन प्रोब एसेस टेस्ट से यह संभव हो पाया है। इस शोध के दौरान 2012 से 2022 के बीच ऐसे 30 मरीजों को शामिल किया गया। उन मरीजों में नए मॉलिक्यूल तकनीक वाले जांच लाइन प्रोब एसेस की मदद से अलग-अलग स्तर पर संक्रमण की जांच की गई।
साथ ही उसी जांच के जरिए गंभीर मरीजों पर दवा के असर के परिणाम का भी पता लगाया गया जबकि इससे पहले तक ऐसे मरीजों का लक्षणों के आधार पर ही इलाज किया जा रहा था। इस जांच की वैद्यता 90 प्रतिशत है जबकि इसकी जगह पर माइक्रोस्कोप से की जाने वाली जांच की सफलता दर बेहद कम है।
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Big achievement of PGI Chandigarh, now treatment of stomach TB will be easy