नई दिल्ली: SBI के साथ 14 करोड़ की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। इस संबंध में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बैंगलोर स्थित एक बायोफ्यूल फर्म के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। एफआईआर में यह आरोप लगाया गया है कि अंकित बायोफ्यूल्स एलएलपी ने 15 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता के लिए 2015 के अगस्त महीने में भारतीय स्टेट बैंक की राजाजी नगर स्थित शाखा से संपर्क किया था। फर्म द्वारा बायोमास से ब्रिकेट और छर्रों के निर्माण और कर्नाटक के तुमकुरु में एक प्लांट और मशीनरी स्थापित करने के लिए सहायता मांगी गई थी।
सीबीआई ने अंकित बायोफ्यूल्स एलएलपी, इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी जीबी आराध्या, पूर्व प्रमोटर के. वेंकटेश, मौजूदा पार्टनर- जे हालेश, अरुण डी. कुलकर्णी, जी. पुलम राजू, के. सुब्बा राजू, थिरुमलैया थिम्मप्पा और अज्ञात सरकारी अधिकारी को मामले में आरोपी बताया है।
तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले में जी पुलम राजू और के. सुब्बा राजू जी के स्वामित्व वाली 56 एकड़ और 36 गुंटा भूमि के गिरवी रखे जाने पर कोलेटरल सेक्योरिटी के विरूद्ध बैंक द्वारा सीमा स्वीकृत की गई थी। बैंक ने 19 नवंबर, 2015 को लोन भू दे दिया, हालांकि भुगतान न करने के कारण, खाते को 28 जून, 2017 को नॉन पर्फार्मिंग एसेट (एनपीए) के रूप में वर्गीकृत कर दिया गया था।
इसमें यह आरोप लगाया गया है कि बैंक द्वारा की गई आंतरिक जांच से पता चला है कि गिरवी रखी गई संपत्ति जी पुल्लम राजू और के सुब्बा राजू के नाम पर पूरी तरह नहीं थी और उनके पास कुछ ही हद तक जमीन का मालिकाना हक था। आगे यह भी पता चला कि गारंटरों ने भारतीय स्टेट बैंक से लोन सुरक्षित करने के लिए बिना किसी सीमांकित भूमि रिकॉर्ड का फर्जी पट्टा-पासबुक (टाइटल बुक) प्रस्तुत किया था। आंतरिक जांच से यह भी पता चला कि वही संपत्तियां आईएफसी वेंचर कैपिटल फंड लिमिटेड के पास भी गिरवी रखी गई थीं।
14 crore fraud with SBI, victim made by giving fake documents