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Yes yes fight for pride here, no win, win or lose ...

जी हां यहां शान के लिए लड़ते हैं चुनाव, जीतें या हारें कोई फर्क नहीं…

कपूरथलाः पंजाब के टशन और टशनी लोगों के चर्चे तो पूरे भारत में सुनने को मिलते हैं। और पंजाब वासी भी इसी टशन को बरकरार रखने के लिए कुछ भी कर गुजरते हैं। 2009 में 13 सीटाें पर 218 कैंडिडेट मैदान में थे। 11 कैंडिडेट ऐसे थे जाे 70 से 76 साल के थे इनमें केवल एक ही प्रत्याशी जीता। 2014 में 70 से 79 साल के 13 उम्मीदवार खड़े थे इनमें 10 हार गए थे। वहीं, 2009 में 25 से 30 साल के 13 कैंडिडेट अाैर 2014 में 17 कैंडिडेट में एक भी नहीं जीत पाया।

2009 में सबसे अधिक आयु वाले विजेता कैडिडेट का माण फतेहगढ़ साहिब सीट से कांग्रेस के सुखदेव सिंह (73) को मिला था। सुखदेव सिंह ने शिअद के दिग्गज व लोकसभा के डिप्टी स्पीकर चरनजीत सिंह अटवाल को हराया था। वहीं, सबसे कम उम्र के हारे कैंडिडेट फिरोजपुर सीट से आजाद प्रत्याशी जगमीत सिंह (25) और आनंदपुर साहिब से मनदीप सिंह (25) थे। 2014 में अधिक आयु के विजेता खडूर साहिब से शिअद के रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा (76) थे।

2014 में हारने वाले सबसे बजुर्ग प्रत्याशी अमृतसर से अाप कैंडिडेट डाॅ. दलजीत सिंह (79) रहे। दूसरे नंबर पर होशियारपुर से शिअद (अ) के शमशेर सिंह (78) और संगरूर से शिअद से सुखदेव सिंह ढींडसा (78) रहे। अब ढींडसा सियासत में शांत बैठे हैं। उनकी जगह उनका बेटा चुनाव मैदान में है। हाेशियारपुर से आजाद कैंडिडेट ओम प्रकाश (73) अधिक उम्र में हारने वालाें में तीसरे स्थान पर थे। इन्हें केवल 699 वाेट ही मिले थे।