
काठमांडू: नेपाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ छिड़ा युवाओं का आंदोलन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रदर्शनकारियों के भारी दबाव के आगे झुकते हुए सरकार ने दो बड़े कदम उठाए – पहले प्रधानमंत्री ओली ने इस्तीफा दिया और फिर उस सोशल मीडिया बैन को भी हटाने का ऐलान कर दिया, जिसके कारण यह पूरा विवाद शुरू हुआ था।
लेकिन सरकार के इन दोनों फैसलों का प्रदर्शनकारियों पर कोई खास असर नहीं हुआ है।

हिंसक प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री ओली की सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने सोशल मीडिया से प्रतिबंध हटाने की घोषणा की थी। सरकार को उम्मीद थी कि इस ऐलान और प्रधानमंत्री के इस्तीफे के बाद युवा शांत हो जाएंगे। लेकिन हुआ इसके ठीक उल्टा।
इस ऐलान के तुरंत बाद, प्रदर्शनकारी एक बार फिर सड़कों पर उतर आए और पूरी सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर करने लगे। इससे साफ हो गया है कि युवाओं का गुस्सा सिर्फ प्रधानमंत्री ओली या सोशल मीडिया बैन तक सीमित नहीं था, बल्कि वे पूरे सिस्टम में बदलाव की मांग कर रहे हैं।प्रदर्शनकारी लगातार सरकार विरोधी नारे लगा रहे हैं, जिससे नेपाल में राजनीतिक संकट और गहरा गया है।
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PM Oli resigns




