जालंधर: गोराया में हुए एक सड़क हादसे में दो बच्चों के पिता की मौत के मामले में पुलिस ने निर्धारित 90 दिनों की समय सीमा के बजाय 100 दिन बीत जाने के बाद चालान पेश किया है। इस देरी ने पुलिस की कार्यप्रणाली और जांच अधिकारी की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जानकारी के अनुसार, इस दर्दनाक हादसे में जालंधर के गणेश नगर निवासी दीपक बग्गा की मृत्यु हो गई थी। इस संबंध में गोराया पुलिस स्टेशन में प्रतापपुरा (बिलगा) निवासी हरमनदीप सिंह पुत्र नरिंदर सिंह के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 106, 281 और 324(5) के तहत एफआईआर नंबर 0165 दर्ज की गई थी।
मामले के जांच अधिकारी सुरिंदर ने कल (गुरुवार) को अदालत में चालान पेश किया। उन्होंने बताया कि आरोपी हरमनदीप सिंह फिलहाल जमानत पर बाहर है और मामले की अगली सुनवाई जून महीने में होगी।
कानूनी प्रावधानों के अनुसार, ऐसे मामलों में पुलिस को आमतौर पर 90 दिनों के भीतर चार्जशीट (चालान) दायर करनी होती है। लेकिन इस मामले में 100 दिन बाद चालान पेश किए जाने से यह सवाल उठ रहा है कि जांच अधिकारी ने समय पर चालान क्यों नहीं पेश किया? क्या इस देरी का मकसद आरोपी को स्थायी जमानत दिलाने में मदद करना था? इस देरी के कारणों की जांच की जानी चाहिए।
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challan presented against accused Harmandeep