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पंजाब के SSP की अनूठी ‘गुरु दक्षिणा’: गरीब महिला के हक में ईसाई मिशनरी के स्कूल के खिलाफ खबर चलाने वाले पत्रकार पर कराई फर्जी FIR, पास्टर भी नामजद

चंडीगढ़/ जालंधर/ बटाला: पंजाब में इन दिनों एक मामला चर्चा में है, जिसके बारे में जानकर कोई भी सोचने को मजबूर हो जाएगा कि सच्चाई का साथ देना अपने आप में एक बहुत बड़ा गुनाह है। मजलूमों के हक की रक्षक कहलाने वाली पुलिस के चीफ यानी SSP खुद आरोपों में घिर गए हैं। आरोप है कि उन्होंने एक पत्रकार के खिलाफ सिर्फ इसलिए झूठी FIR कटवा दी कि उसकी एक खबर से शहर में अंग्रेजों के जमाने से चल रहे ईसाई मिशनरी के एक स्कूल के प्रबंधन की खासी किरकिरी हुई थी। कहा जा रहा है कि SSP इसी संस्थान के कॉलेज से पढ़े हुए हैं और स्कूल के मौजूदा प्रिंसिपल उनके करीबियों में हैं। आइए जानते हैं कि आखिर क्या है अनूठी गुरु दक्षिणा की वह कहानी, जो पुलिस को सवालों के घेरे में ले आई।

मिली जानकारी के अनुसार, बटाला के बेयरिंग कॉलेजिएट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में अरमान नाम का लड़का पढ़ता है। लेकिन उसकी मां उसे स्कूल में पढ़ाने के लिए महंगी फीस वहन नहीं कर सकती। इसके चलते उसने बेटे का दाखिला दूसरे स्कूल में कराने की सोची। ट्रांसफर सर्टिफिकेट मांगे जाने पर बेयरिंग कॉलेजिएट सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रबंधन ने सर्टिफिकेट में एबसेंट लिख दिया। इस मामले को एक डिजिटल मीडिया ग्रुप के पत्रकार रमेश बहल ने प्रमुखता से उठाया तो आनन-फानन में इस गलती को सुधार लिया गया। स्कूल के प्रिंसिपल डॉ. राजन चौधरी ने खुद स्टाफ की इस गलती को स्वीकार किया था। एक बार तो मामला जैसे-तैसे ठंडा पड़ गया, लेकिन मामला उस वक्त फिर से तूल पकड़ गया, जब स्कूल प्रबंधन की किरकिरी होने के चलते पत्रकार के खिलाफ प्रिंसिपल ने SSP रछपाल सिंह को शिकायत दे दी।

इस बारे में जालंधर से आकर बटाला में पत्रकारिता करने वाले रमेश बहल ने बताया कि SSP को शिकायत दिए जाने के बाद DSP गुरप्रीत सिंह सिद्धू ने उसे अपने ऑफिस बुलाकर मोबाइल फोन और कैमरे एक साइड रखवा लिए। वहां स्कूल के प्रिंसिपल की तरफ से लगाए गए आरोप को लेकर पूछताछ की गई। इसके बाद भी उसे कई बार पुलिस की तरफ से परेशान किया गया। आखिर मजबूर होकर गत 24 दिसंबर 2020 को उसने पूरे घटनाक्रम से DGP दिनकर गुप्ता को अवगत करवाया। उन्होंने IG को तो IG ने SP गुरप्रीत सिंह को यह इन्क्वायरी मार्क कर दी। बावजूद इसके 6 जनवरी 2021 ब्लैकमेलिंग के आरोप में कई धाराओं के धाराओं के तहत पत्रकार बहल के खिलाफ थाना सिविल लाइन में FIR दर्ज कर ली गई। हालांकि इस केस में पुलिस ने रमेश, मीरा शर्मा के अलावा DS मैथ्यू नामक एक पास्टर समेत 3 को नामजद किया गया है।

आरोप है कि रमेश बहल ने स्कूल प्रबंधन से पैसे की मांग की। इसी के साथ पुलिस ने संबंधित मीडिया ग्रुप के दो सीनियर साथियों मोहन हंस और हरप्रीत रंधावा उर्फ रवि को भी आरोपी बनाया है। वहीं पुलिस का दावा है कि पत्रकार बहल के साथ आए कुछ लोगों ने प्रिंसिपल को धमकाया। एक ओर इस घटनाक्रम में मीडिया के सामने आए एक स्टिंग ऑपरेशन के वीडियो में DSP को यह कहते हुए साफ सुना जा सकता है कि मैं खुद मानता हूं कि इसमें तुम्हारा कोई कसूर नहीं है, लेकिन SSP का दबाव है। वह बार-बार कह रहे हैं कि ऐसा कुछ नहीं है कि पुलिस चाहे और न कर पाए। पुलिस जिसे चाहे बाहर कर दे और जिसे चाहे अंदर कर सकती है। आप लोग कार्रवाई करना ही नहीं चाहते’।

वहीं इस बारे में पीड़ित रमेश का कहना है कि वह मैथ्यू को जानता तक नहीं कि वह कौन है और उसने पत्रकार बहल के नाम का इस्तेमाल करके पैसों की मांग क्यों की। साथ ही पुलिस की जांच पर भी सवाल उठाए हैं कि पुलिस अपनी जांच में जिन लोगों के द्वारा धमकी दिए जाने का दावा रही है, उनमें मुनीष शर्मा नामक एक शख्स को दुनिया से रुखसत हुए महीनों बीत चुके हैं। रमेश बहल ने बताया कि उसने एक बार फिर से इस पूरे घटनाक्रम की तरफ DGP का ध्यान खींचने की कोशिश की है। उसने खुद को इंसाफ दिलाने के लिए इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच के IG रैंक के अधिकारी से करवाए जाने की मांग की है। साथ ही ऐसा नहीं होने की स्थिति में बहल ने 10 दिन का अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि वह अमृतसर में IG बॉर्डर रेंज सुरेंद्रपाल सिंह परमार के दफ्तर के बाहर भूखा हड़ताल पर बैठ जाएंगे।

उधर, इस बारे में SSP रछपाल सिंह ने कहा कि पुलिस को स्कूल प्रिंसिपल को ब्लैकमेल किए जाने की शिकायत मिली थी। इस मामले की जांच DSP गुरप्रीत सिंह सिद्धू ने की थी। उसी आधार पर इस केस में तीन लोगों को नामजद किया गया है। अभी तक सामने आए तमाम पहलुओं की गहनता से जांच की जा रही है। पुलिस का उद्देश्य हर हाल में पीड़ित को इंसाफ दिलाना है।