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जालंधर में डॉक्टर ही कर रहे थे रेमडेसिविर इजेंक्शन की कालाबाजारी, दो गिरफ्तार- पुलिस ने कुछ यूं दिया कार्रवाई को अंजाम

 

जालंधरः कोरोना वायरस की महामारी के बीच जीवन रक्षक दवाओं की किल्लत हो गई है। सरकार की ओर से किए जा रहे दावों के बावजूद रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी रुकने का नाम नहीं ले रही है। इस कड़ी में जालंधर में पुलिस ने दो डॉक्टरों को काबू किया है जिनपर रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने का आरोप है।

ट्रैप लगाकर दोनों डॉक्टरों को दबोचा
सेहत विभाग और पुलिस टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर ट्रैप लगाकर डॉ. गुरप्रीत सिंह निवासी गुरमीत नगर व डॉ. रमन कुमार निवासी गांधी कैम्प को गिरफ्तार कर लिया। ड्रग इंस्पेक्टर अनुपमा कालिया ने बताया कि डॉ. रमन कुमार की ओर से पिछले दो दिन से रेमडेसिविर टीके की कालाबाजारी की सूचनाएं मिल रही थीं।

कारिंदा फरार होने में कामयाब
उन्होंने बताया कि शनिवार को एक लड़के को दो टीके खरीदने को भेज दिया गया। रमन ने उसे संघा चौक के पास बुलवाया, लेकिन रमन ने अपना कारिंदा डिलीवरी देने भेज दिया। कारिंदे ने लड़के से दो टीकों के दस हजार रुपये लिए, जबकि एक टीके की कीमत 2500 रुपये है। इस पर सेहत विभाग और थाना सात के एसएचओ रछमिंदर सिंह की टीम ने कारिंदे को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वह फरार होने में कामयाब हो गया।

राजस्थान सरकार ने सप्लाई की थी रेमडेसिविर
रमन ने जो दो टीके दिए थे, वह राजस्थान सरकार की सरकारी सप्लाई के थे। जांच के बाद मिट्ठापुर रोड स्तिथ MGK मेडिकल सेंटर पर सेहत विभाग और पुलिस की टीम पहुंची जहां रमन नहीं मिला, परंतु डा. रमन कुमार के नाम के कार्ड मिले।

मौके पर मौजूद पुलिस टीम और सेहत विभाग की रिकॉर्ड जांचा लेकिन रेमडेसिविर इंजेक्शन से संबंधित उन्हें कोई रिकॉर्ड नहीं मिला न ही दुकान पर तैनात डॉक्टर कोई लाइसेंस दिखा सका। इसके बाद टीम ने कार्रवाई करते हुए दवाइयां सील कर दी। थाना-7 के प्रभारी रछमिंदर सिंह के बताया कि दोनों डॉक्टरों को गिरफ्तार कर आईपीसी की धारा 420 तहत मामला दर्ज कर लिया गया है और आगे की बनती कार्रवाई की जा रही है।