नई दिल्ली: पालतू जानवर पुराने समय से ही इंसान के मददगार रहे हैं और इंसान भी पालतू जानवरों को अपनी जान से भी ज्यादा मानता रहा है। कई ऐसे किस्से अक्सर सामने आते रहे हैं जिसमें जानवर ने अपने मालिक के लिए कुर्बानी दी है। मगर, किसी इंसान ने अपने पालतू जानवर के लिए कुछ किया हो यह विरले ही सुनने को मिलता है पर पूर्णिया के एक संवेदनशील इंसान ने न केवल पालतू जानवर से प्रेम की अनोखी मिसाल कायम की है, बल्कि मनुष्य और जीवों के बीच आत्मिक संबंधों की बानगी भी पेश की है।
न्यूजीलैंड में रहने वाले पूर्णिया के प्रमोद चौहान ने अपने प्यारे पालतू कुत्ते की मौत होने पर उसका न केवल हिंदू रीति से विधिवत दाह संस्कार किया, बल्कि न्यूजीलैंड से पटना आकर गंगा में दाह संस्कार के बाद गया जाकर पिंडदान भी किया। अब वे भंडारा की तैयारी कर रहे हैं जिसे आम तौर पर श्राद्ध का भोज कहा जाता है।
प्रमोद चौहान मूल रूप से पूर्णिया के मधुबनी मुहल्ले के रहने वाले हैं जो पिछले एक दशक से न्यूजीलैंड के आलैंड में ही बस गये हैं। श्री चौहान ने न्यूजीलैंड में एक कुत्ता पाल रखा था। उसे प्यार से वे ‘लाइकन’ के नाम से पुकारते थे। घर में वह सबसे इस कदर हिल-मिल गया था कि वह घर के एक सदस्य के रुप में रहने लगा था। करीब एक दशक तक साथ रहने के कारण कुत्ते से प्रमोद चौहान का आत्मीय लगाव हो गया। मगर, इधर एक दिन अचानक लाइकन यानी कुत्ते की मौत हो गयी।
कुत्ते की मौत से पूरे परिवार को इस कदर सदमा लगा मानो किसी सगे की मौत हो गयी हो। पूरा परिवार गम में डूब गया और फिर प्रमोद चौहान ने हिन्दू रीति के साथ लाइकन यानी कुत्ते का दाह संस्कार किया और उसकी आधी अस्थियां न्यूजीलैंड में और आधी भारत लेकर आये, जहां पटना के पास भावुक और मार्मिक होकर गंगा में प्रवाहित कर दी। इतना ही नहीं, वे पटना से गया पहुंचे और अपने प्यारे लाइकन के मोक्ष के लिए पिंडदान कर उसका श्राद्ध किया।