नई दिल्ली: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने एक बार फिर पैरोल की मांग की है। बलात्कार के जुर्म में 20 साल की सजा काट रहे राम रहीम को पिछले महीने 21 दिन की फरलो मिली थी। इस बार उन्होंने 20 दिन की पैरोल की मांग की है। हालांकि, राज्य सरकार ने आदर्श आचार संहिता के कारण इस मामले को मुख्य चुनाव अधिकारी के पास भेज दिया है। मुख्य चुनाव अधिकारी ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर इस इमरजेंसी पैरोल के बारे में सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा है कि चुनाव अवधि के दौरान दोषी को पैरोल पर रिहा करना कितना उचित है?
राम रहीम को अपनी दो शिष्याओं के साथ बलात्कार के जुर्म में 20 साल की सजा हुई है। वह वर्तमान में हरियाणा के रोहतक की सुनारिया जेल में बंद हैं। पिछले महीने उन्हें 21 दिन की फरलो मिली थी। इस बार उन्होंने 20 दिन की पैरोल की मांग की है। जेल विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सामान्य परिस्थितियों में पैरोल के लिए कारण बताने की जरूरत नहीं होती। लेकिन आदर्श आचार संहिता के कारण इस मामले को चुनाव आयोग के पास भेज दिया गया है।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव के दौरान किसी दोषी को पैरोल देना कानून के खिलाफ हो सकता है, खासकर जब वह एक प्रभावशाली व्यक्ति हो। सोशल मीडिया पर इस मामले को लेकर लोगों में काफी गुस्सा है। लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि राम रहीम को पैरोल न दी जाए।
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Before Haryana elections, Dera Sacha Sauda chief Ram Rahim again sought parole, Election Commission raised questions