अमृतसर: पंजाब के पुलिस थानों में वर्षों से पड़े जब्तशुदा और लावारिस वाहनों की बढ़ती संख्या को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट सख्त हो गया है। इस संबंध में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार और डी.जी.पी. पंजाब को 90 दिन के भीतर इस मामले पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट के इस निर्णय से उम्मीद जताई जा रही है कि अब पुलिस थानों में वर्षों से पड़े और कबाड़ में बदल चुके वाहनों को शीघ्र ही थानों से बाहर निकालकर उनका निपटारा किया जा सकेगा।
याचिकाकर्ता एडवोकेट कंवर पाहुल सिंह ने अपनी याचिका में कहा था कि इस समय पंजाब पुलिस के पास हजारों की संख्या में ऐसे वाहन हैं जो विभिन्न मामलों में जब्त कर थानों में रखे गए हैं। वाहनों की तादाद इतनी बढ़ चुकी है कि थानों के अंदर जगह न होने के कारण इन्हें सड़कों और फुटपाथों पर भी खड़ा करना पड़ता है, जिससे ट्रैफिक व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होती है।
एडवोकेट कंवर पाहुल सिंह ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2002 के एक महत्वपूर्ण निर्णय का हवाला दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने उस समय निर्देश दिया था कि पुलिस द्वारा जब्त किए गए और केस प्रॉपर्टी बने वाहनों का 30 दिन के अंदर-अंदर निपटारा किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि यदि किसी वाहन का मालिक ट्रेस न हो रहा हो तो उस वाहन को 6 महीने के अंदर नीलाम कर दिया जाए। एससी के तत्कालीन निर्णय के अनुसार, ऐसे मामलों में स्थानीय मजिस्ट्रेट अपने स्तर पर भी आदेश जारी कर सकते हैं और हाईकोर्ट उसे सुपरवाइज करेगा। एडवोकेट ने यह भी बताया कि वर्ष 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने इस पहली डायरेक्शन पर भी जजमेंट दी थी।
एडवोकेट कंवर पाहुल सिंह ने हाईकोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के इन निर्णयों को आज 23 साल हो चुके हैं, लेकिन इन निर्देशों का ठीक से पालन नहीं हुआ। इस दौरान थानों में वाहनों की संख्या कई गुना बढ़ चुकी है और इन्हें अब नियंत्रित करना बेहद मुश्किल हो गया है। उन्होंने तर्क दिया कि पुलिस ने इन मामलों को स्थानीय मजिस्ट्रेट के समक्ष उचित समय पर भेजा ही नहीं, जिसकी वजह से मजिस्ट्रेट भी इन पर आगे की कार्रवाई नहीं कर पाए।
दायर की गई जनहित याचिका पर सख्त रुख अपनाते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार और डी.जी.पी. पंजाब को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अगले 90 दिनों के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत में पेश की जाए। इस रिपोर्ट में डी.जी.पी. यह बताएंगे कि पुलिस थानों में पड़े वाहनों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए पंजाब पुलिस द्वारा अब तक क्या कार्रवाई की गई है।
हाईकोर्ट द्वारा अपने फैसले में यह भी कहा गया है कि इस रिपोर्ट का निरीक्षण रजिस्ट्रार जनरल द्वारा किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इसमें अदालत के निर्देशों की पूरी तरह पालना हुई है या नहीं। इसके साथ ही, याचिकाकर्ता एडवोकेट कंवर पाहुल सिंह को भी अधिकार दिया गया है कि वे पुलिस द्वारा पेश की गई रिपोर्ट का अध्ययन कर उस पर अपनी राय अदालत के समक्ष प्रस्तुत कर सकें।
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High Court strict on thousands of vehicles becoming junk in police stations