नई दिल्ली: किसानों का आंदोलन एक बार फिर तेज हो गया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी समेत अपनी मांगों को लेकर किसान दिल्ली कूच पर अड़े हुए हैं। 101 किसानों का एक समूह 8 दिसंबर को फिर दिल्ली की ओर मार्च शुरू करेगा। पंजाब के किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से किसानों के मुद्दों पर बातचीत के लिए कोई संदेश नहीं मिला है। इसलिए किसानों ने दिल्ली मार्च का फैसला लिया है।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
किसानों के दिल्ली कूच को रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने पहले से ही दिल्ली-एनसीआर के बॉर्डर्स सील कर दिए हैं। शंभू बॉर्डर पर सुरक्षाकर्मियों की भारी तैनाती की गई है। शुक्रवार को किसानों द्वारा दिल्ली की ओर बढ़ने के प्रयास को रोकने के लिए सुरक्षाकर्मियों ने आंसू गैस के गोले दागे थे, जिसमें कई किसान घायल हो गए थे। इस घटना के बाद किसानों ने अपना मार्च स्थगित कर दिया था।
हरियाणा सरकार के कदम
किसानों के मार्च को देखते हुए हरियाणा सरकार ने अंबाला जिले के 11 गांवों में 9 दिसंबर तक मोबाइल इंटरनेट और बल्क एसएमएस सेवा भी निलंबित कर दी है। साथ ही इलाके में धारा 163 लागू कर दी गई है, जिसके तहत पांच या अधिक लोगों की गैरकानूनी सभा को प्रतिबंधित किया गया है।
किसान अपनी निम्नलिखित मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं:
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी
फसलों के लिए उचित मूल्य
किसानों का कर्ज माफ किया जाए
बिजली बिलों में छूट
देखना होगा कि किसानों का यह आंदोलन कहां तक जाता है और सरकार उनकी मांगों को मानती है या नहीं।
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