नोएडाः नोएडा की एक प्राइवेट लैबोरेट्री ने गौतमबुद्ध नगर के 35 स्वस्थ लोगों को कोरोना वायरस से पॉजिटिव घोषित कर दिया। इसके बाद हड़कंप मच गया। हालांकि जब उनकी सरकारी प्रयोगशालाओं में दोबारा जांच कराई गई तो रिपोर्ट नेगेटिव निकली। अब इन सभी प्राइवेट लैबों को नोटिस भेजा गया है।
जिला निगरानी अधिकारी सुनील दोहरे ने बताया कि 35 लोगों को अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई और इन फर्जी रिपोर्ट को लेकर निजी प्रयोगशालाओं को नोटिस भेजा गया है। यह लापरवाही बहुत बड़ी है। निगेटिव होने के बावजूद मरीजों को पॉजिटिव मरीजों वाले आइसोलेशन वॉर्ड में रहना पड़ा। अब इन सभी प्राइवेट लैबों को नोटिस भेजा गया है।
एक वरिष्ठ सरकारी डॉक्टर ने बताया कि निजी प्रयोगशालाओं से आने वाली जो रिपोर्ट्स संदिग्ध लगती हैं उनकी जांच मरीज को भर्ती करने के साथ उसी दिन कराई जाती है। वे लोग जांच का सैंपल नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ बयॉलजी, अति विशिष्ट बाल चिकित्सा अस्पताल और स्नातकोत्तर शिक्षण संस्थान या ग्रेटर नोएडा स्थित सरकारी आयुर्विज्ञान संस्थान (GIMS) से सत्यापित करते हैं।
अब इस मामले में गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई के आदेश पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दीपक ओहरी ने प्राइवेट लैबोरेट्री को नोटिस भेजा है। उनसे पूछा गया है कि उन्होंने किस आधार पर इन 35 रोगियों को कोरोना वायरस से पॉजिटिव घोषित किया था? क्यों न उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज करवाई जाए? यह न केवल महामारी अधिनियम का उल्लंघन है। बल्कि भारतीय चिकित्सा विज्ञान परिषद के कायदों की भी अवहेलना है।
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