फिरोजपुर: भारतीय सेना के लिए सामरिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण, फिरोजपुर जिले के फत्तूवाला गांव में स्थित हवाई पट्टी को धोखाधड़ी से बेच दिए जाने का गंभीर मामला सामने आया है। यह हवाई पट्टी 1962, 1965 और 1971 के युद्धों के दौरान भारतीय सेना द्वारा इस्तेमाल की गई थी। यह पूरा प्रकरण अब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट पहुंच गया है, जिसने मामले की गंभीरता को देखते हुए सख्त रुख अपनाया है।
मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने विजिलेंस ब्यूरो के चीफ डायरेक्टर को स्वयं इस मामले की गहन जांच करने और तुरंत आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। अदालत ने इस संवेदनशील मामले में अब तक प्रशासन द्वारा दिखाई गई ‘निष्क्रियता’ को ‘अक्षम्य’ करार दिया है।
मामले की अगली सुनवाई के लिए 3 जुलाई की तारीख तय की गई है। इस दौरान विजिलेंस ब्यूरो को अपनी जांच की प्रगति रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपनी होगी।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला अदालत में रिटायर कानूनों निशान सिंह लेकर पहुंचे हैं, जिन्होंने इस संबंध में एक जनहित याचिका दायर की है। याचिका में इस पूरे फर्जीवाड़े की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या किसी अन्य निष्पक्ष स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग की गई है।
याचिका के अनुसार, फत्तूवाला गांव की संबंधित जमीन का अधिग्रहण ब्रिटिश काल के दौरान 1937-38 में भारतीय सेना के लिए किया गया था। तब से यह भूमि लगातार भारतीय सेना के नियंत्रण में ही थी। फिरोजपुर कैंट के कमांडेंट ने इस बारे में संबंधित जिला उपायुक्त (डीसी) को पत्र लिखकर स्थिति से अवगत भी कराया था।
रिकॉर्ड में हेरफेर का आरोप
आरोप है कि साल 1997 में पांच बिक्री विलेखों के माध्यम से सुनियोजित तरीके से जमीन के राजस्व रिकॉर्ड में हेरफेर किया गया। जमीन के मूल और वैध मालिक मदन मोहन लाल थे, जिनकी मृत्यु वर्ष 1991 में ही हो गई थी। चौंकाने वाली बात यह है कि उनकी मृत्यु के लगभग 20 साल बाद, यानी वर्ष 2009-10 में, राजस्व रिकॉर्ड में यह महत्वपूर्ण भूमि निजी व्यक्तियों के नाम पर दर्ज कर दी गई।
हालांकि, भारतीय सेना ने आधिकारिक तौर पर कभी भी इस जमीन का कब्जा किसी अन्य व्यक्ति या संस्था को नहीं सौंपा है। मामले की संवेदनशीलता और इसमें शामिल संस्थाओं को देखते हुए, हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब विजिलेंस ब्यूरो की जांच और 3 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई पर सबकी निगाहें टिकी हैं।
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Army’s important airstrip in Ferozepur was sold fraudulently