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देश भर के बच्चों को होम वर्क से मिली मुक्ति,बैग के वजन से मिला छुटकारा, केंद्र ने जारी किए ये निर्देश

 

PLN- देशभर के स्कूली छात्रों के लिए अच्छी खबर है। अब पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों को स्कूल से होमवर्क नहीं दिया जाएगा। जी हां, पहली-दूसरी कक्षा के छात्रों को होम वर्क से पूरी तरह मुक्ति मिल गई है। साथ ही दसवीं क्लास के छात्रों के लिए उनके स्कूली बस्ते का बोझ भी कम कर दिया गया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की और से सोमवार को जारी एक सर्कुलर में सभी राज्यों को यह निर्देश दिया गया है।

जारी सर्कुलर के अनुसार पहली और दूसरी क्लास के छात्रों को अब होम वर्क नहीं दिया जाएगा।

अब कक्षा के अनुसार होगा बैग का वजन

इसमें कहा गया है कि पहली से दूसरी कक्षा के छात्रों के बैग का वजन 1.5 किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए। इसी तरह तीसरी से 5वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के बैग का वजन 2-3 किलोग्राम, छठी से 7वीं के बच्‍चों के बैग का वजन 4 किलोग्राम, 8वीं तथा 9वीं के छात्रों के बस्‍ते का वजन 4.5 किलोग्राम और 10वीं के छात्र के बस्‍ते का वजन 5 किलोग्राम होना चाहिए।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित राज्यों को  सर्कुलर जारी किया

यहां उल्‍लेखनीय है कि चिल्‍ड्रन्‍स स्‍कूल बैग एक्‍ट, 2006 के तहत बच्‍चों के स्‍कूल बैग का वजन उनके शरीर के कुल वजन के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। हालांकि कई जगह इसकी अनदेखी हुई और स्‍कूलों ने इस ओर ध्‍यान नहीं दिया।

इस तरह स्कूल उन्हें अतिरिक्त पुस्तकें और पाठ्य सामग्री लाने का निर्देश नहीं दी सकते हैं।  मंत्रालय ने पहली और दूसरी क्लास के छात्रों को केवल गणित और भाषा पढ़ाने की अनुमति दी है, जबकि तीसरी से पांचवीं कक्षा के छात्रों को गणित भाषा और सामान्य विज्ञान को ही पढ़ाने का निर्देश दिया है। जो राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (एनसीईआरटी) द्वारा मान्यता दी गई है। इसके अलावा किताबें लाने के लिए भी बच्चों को बाध्य नहीं किया जाएगा।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित राज्यों को सर्कुलर जारी किया है। इसमें सभी को इन आदेशों की पालना करने के निर्देश दिए गए हैं। मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि वह इस दिशा में गाइडलाइन तैयार करे और इसे तत्काल प्रभाव से लागू करें। गौरतलब है कि कई सालों से स्कूली बस्ते का वजन कम करने की मांग की जा रही थी, क्योंकि स्कूल निजी प्रकाशकों की पुस्तकें चलाने के लिए स्कूली बस्ते को भारी कर रहे थे और होमवर्क से छोटे बच्चे और उनके अभिभावक भी परेशान थे।

 

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