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Chandra Grahan में क्‍या करें क्‍या नहीं, ये काम करने से हो सकते हैं गरीब और रोगी, 4 बजकर 6 मिनट से शुरू हो रहा सूतक काल, पढ़ लें ये काम की जरूरी बातें

Chandra Grahan 2023: 2023 साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण आज रात लगेगा. यह ग्रहण 28 और 29 अक्टूबर की मध्यरात्रि को लगने जा रहा है. इसकी शुरुआत आज रात 1 बजकर 5 मिनट पर होगी इसलिए इसका सूतक काल 9 घंटे पहले यानी आज शाम 04 बजकर 06 मिनट से शुरू हो जाएगा और 2 बज कर 22 मिनट तक रहेगा।

चंद्र ग्रहण में क्या करें क्या न करें

1. सूतक काल में बाहर भ्रमण कर सकते हैं या नहीं?

अनावश्यक नहीं । परंतु समय लंबा होता है सूतक का, पूरा समय बैठ पाना संभव नहीं होता इसलिए सेवा आदि गतिविधि चालू रख सकते हैं, समस्या नहीं, समय हो तो जप, ध्यान में लगाना चाहिए ।

2. पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा को अर्घ्य देते हैं तो ग्रहण के दिन देना है या नहीं?

क्योंकि सूतक काल शाम 4:06 बजे से लग रहा है इसलिए चंद्र ग्रहण में अर्घ्य नहीं देना चाहिए ।

3. सूतक काल में चंद्रमा की किरणों में बैठकर लाभ ले सकते हैं या नहीं?

हां ले सकते हैं ।

4. ग्रहण के समय लैट्रिन बाथरूम जा सकते हैं ?

नहीं, ग्रहण के समय लघुशंका करने से दरिद्र (गरीब) व मल त्यागने से कीड़ा होता है ।

5. ग्रहण के समय सोना चाहिए या नहीं?

नहीं, ग्रहण के समय सोने से रोगी हो जाता है । खासकर गर्भवती महिलाओं को बिलकुल नही सोना चाहिए

6. ग्रहण के समय भोजन खा सकते है?

चंद्र ग्रहण में सूतक लगने से चंद्र ग्रहण पूर्ण होने तक भोजन करना वर्जीत है । जो भोजन करता है वह अधोगति को प्राप्त हो जाता है।

7. सूतक या ग्रहण काल में स्नान, पेशाब और शौच कर सकते हैं या नहीं?

सूतक काल में स्नान, पेशाब और शौच कर सकते हैं। लेकिन ग्रहण के समय वर्जित है।

8. ग्रहणकाल के दौरान अध्ययन( Study )कर सकते हैं क्या ?

बिल्कुल नहीं। नारद पुराण के अनुसार – ‘‘चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के दिन, उत्तरायण और दक्षिणायन प्रारम्भ होने के दिन कभी अध्ययन न करे। अनध्याय (न पढ़ने के दिनों में) के इन सब समयों में जो अध्ययन करते हैं, उन मूढ़ पुरुषों की संतति, बुद्धि, यश, लक्ष्मी, आयु, बल तथा आरोग्य का साक्षात् यमराज नाश करते हैं।’’

9. सूतक काल में खाने का त्याग करना है तो पानी पी सकते हैं या नहीं?

इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जल-पान के बाद 2 से 4 घंटों के अंदर लघुशंका (पेशाब) की प्रवृत्ति होती है अतः ग्रहण प्रारम्भ होने के 4 घंटे पूर्व से जलपान करने से भी बचना चाहिए नहीं तो ग्रहण के दौरान समस्या आती है।

10. ग्रहणकाल में धूप, दीप, अगरबत्ती, कपूर जला सकते हैं या नहीं?

हां, जला सकते हैं।

11. ग्रहण के समय घर में पूजा कर सकते है?

हाँ, साथ ही अधिक से अधिक जप ध्यान अवश्य करना चाहिए , इस समय लाखों गुणा फल मिलता है।

12. ग्रहणकाल के दौरान मोबाइल का उपयोग कर सकते हैं?

ग्रहणकाल के दौरान मोबाइल का उपयोग आंखों के लिए अधिक हानिकारक है।

13. चंद्र ग्रहण के बाद क्या करना चाहिए?

ग्रहणकाल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी पहने हुए वस्त्र सहित स्नान करना चाहिए।

14. आसन, गोमुखी व मंदिर में बिछा हुआ कपड़ा भी धो दें। और दूषित औरा के शुद्धिकरण हेतु गोमूत्र या गंगाजल का छिड़काव पूरे घर में कर सकें तो अच्छा है।

15. भोजन कब तक करना है?

सूतक लगने ( शाम 04:06) से पहले भोजन कर लीजिए उसके बाद कोई भी स्वस्थ व्यक्ति भोजन नहीं करें। बच्चे, बुढ़े, गर्भिणी स्त्रियों व रोगियों को रात 8 बजे से पहले भोजन कर लेना चाहिए।

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16. ग्रहणकाल में तुलसी के पत्तों का उपयोग किस प्रकार करना है?

सूतक से पहले ही तुलसी पत्र कुशा आदि तोड़कर रख लें (अनाज, खाद्य पदार्थों में रखने हेतु), ध्यान रखें कि दूध में कभी भी तुलसी पत्र नहीं डाला जाता।

नोट : पूर्णिमा के दिन तुलसी नहीं तोड़ सकते हैं शुक्रवार के दिन दोपहर पहले तोड़ के रख सकते हैं।

17. ग्रहण के सूतक काल में सोना चाहिए या नहीं?

सो सकते हैं लेकिन चूंकि सोकर तुरंत उठने के बाद जल-पान, लघुशंका-शौच आदि की स्वाभाविक प्रवृत्ति की आवश्यकता पड़ती है अतः ग्रहण प्रारम्भ होने के करीब 4 घंटें पहले उठ जाना चाहिए जिससे लघुशंका-शौच आदि की आवश्यकता होने पर इनसे निवृत्त हो सके और ग्रहणकाल में समस्या न आये।

18. ग्रहण देख सकते है?
नहीं, ग्रहण के समय बाहर न जायें न ही ग्रहण को देखें।

19. सूतक के पहले जिन पदार्थों में कुश, तिल या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। परंतु पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए।

20. सूतक प्रारम्भ होने से पहले पानी में कुशा, तिल या तुलसीपत्र डाल के रखें ताकि सूतककाल में उसे पीने आदि में उपयोग ला सकें।

21. ग्रहण के समय भोजन करने से अधोगति, सोने से रोगी, लघुशंका करने से दरिद्र, मल त्यागने से कीड़ा, स्त्री-प्रसंग करने से सूअर व उबटन लगाने से व्यक्ति कोढ़ी होता है।

22. ग्रहणकाल में दूसरे का अन्न खाने से 12 वर्षों का एकत्रित सब पुण्य नष्ट हो जाता है।

23. ग्रहणकाल में गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है।

24. ‘चंद्रग्रहण के समय किया हुआ जप, ध्यान, दान आदि पुण्यकर्म 1 लाख गुना तथा गंगाजल पास में हो तो 1 करोड़ गुना फलदायी होता है।(नारदपुराण)

25. चंद्रग्रहण में रुद्राक्ष माला धारण करने से पाप नष्ट हो जाते हैं (रुद्राक्षजाबाल उपनिषद्)

26. ‘सूर्य-चंद्र ग्रहण काल में तप, जप, तीर्थ सेवा, देवताओं और ब्राह्मणों (ब्रह्मज्ञानी संतों) का पूजन आदि कर्म महापाप को धोनेवाले होते हैं।’ (कूर्मपुराण)

27. ‘ग्रहण के समय जो मनुष्य एकाग्रचित्त से पितरों को तिलमिश्रित जल भी दान कर देता है, वह मानो सहस्र वर्षों के लिए श्राद्ध कर देता है।’ (वराहपुराण)

28. खीर प्रसादी कब बनानी है और कब सेवन करना है ?

रात्रि 2:22 (29 अक्टूबर 2:22 AM) के बाद स्नान आदि करके खीर बना के चाँदनी में रख लें । यथासम्भव 1-2 घंटें पुष्ट होने के बाद खा लें ।

न्यूज की जानकारी अन्य लोगों को अवश्य पहुंचाए ताकि वो भी ग्रहण काल का लाभ उठाएं और नियमो का पालन कर सके।

ये जानकारी शास्त्रों पुराणों साधु संतो ज्योतिषियों के आधार पर ली गई है इस जानकारी का Punjablivenews.in कोई दावा नही करता।

 

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