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पकड़े गए आतंकियों ने किए बड़े खुलासे, सिगनल ऐप जरिए करते थे बातचीत, पाकिस्तानी ड्रोन से होती थी हथियारों की डिलीवरी

करनाल: हरियाणा के करनाल से चार आतंकियों को गिरफ्तार किया गया है। उनके पास से भारी मात्रा में एक देसी पिस्टल, 31 जिंदा और 3 लोहे के बक्से मिले हैं। अब बताया जा रहा है कि पकड़े गए आतंकवादियों में से दो तो सगे भाई हैं। पुलिस को चारों आतंकियों की दस दिन की कस्टडी मिली है।

इस बात का भी खुलासा हुआ है कि ये आतंकी सिग्नल और वीआईपी एप्स के जरिए लगातार बातचीत कर रहे थे। इन्हें जो भी आदेश दिए जा रहे थे, उनमें इन एप्स का प्रमुखता से इस्तेमाल हो रहा था। इस पूरी घटना को लेकर बताया गया है कि पुलिस को दिल्ली की तरफ जा रही एक सफेद टोयटा इनोवा गाड़ी को लेकर कुछ इनपुट मिला था। उनके पास विस्फोटक और हथियार होने की सूचना थी।

सूचना मिलने के बाद करनाल पुलिस ने बसताड़ा टोल प्लाजा पर नाका लगाया और गाड़ियों की चेकिंग शुरू कर दी ।जब दिल्ली नंबर की गाड़ी आती दिखाई दी तो उसे रोका गया जिसमें से चार युवकों की गिरफ्तारी हुई। गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान गुरप्रीत सिंह, उसका भाई अमनदीप सिंह, भूपेंद्र और परमिंदर सिंह के रूप में हुई। गाड़ी में विस्फोटक पदार्थ होने की आशंका को देखते हुए गाड़ी को खुली जगह पर पार्क किया गया। उसके बाद तलाशी के दौरान एक मैगजीन ,शुद्ध देसी पिस्तौल, एक मैगजीन ,31 जिंदा कारतूस ,3 लोहे के कंटेनर जो प्रथम दृष्टया आईईडी मालूम होते हैं , 6 मोबाइल फोन और ₹1,30000 की नकदी भी बरामद हुई।

गिरफ्तार किए गए युवकों में से गुरप्रीत लुधियाना जेल में बंद था जहां पर उसकी मुलाकात बटाला निवासी राजवीर सिंह से हुई। राजवीर ने गुरप्रीत की मुलाकात पाकिस्तान में रह रहे खालिस्तानी आतंकवादी हरविंदर सिंह रिन्दा से करवाई। बातचीत करने के लिए ना मोबाइल फोन और ना व्हाट्सएप का इस्तेमाल हुआ बल्कि सिगनल एप का इस्तेमाल हुआ। रिन्दा ने गुरप्रीत को उसकी बताई गई जगहों पर हथियार पहुंचाने का काम सौंपा जिसके बदले उसे पैसा देने का आश्वासन दिया गया था।

गुरप्रीत को बताया गया था कि उसे विस्फोटक और हथियार ड्रोन के जरिए मिलेंगे। हथियार एक आकाशदीप नामक व्यक्ति के ननिहाल के खेत में पहुंचाए गए थे। इन हथियारों को अदिलाबाद पहुंचाने के लिए कहा गया था। अदिलाबाद की लोकेशन वीआईपी एप पर साझा की गई थी।

Caught terrorists made big revelations, used to communicate through signaling app, weapons were delivered by Pakistani drones