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जालंधर में CT स्कूल के खिलाफ Parents का फूटा गुस्सा, जमकर किया हंगामा

-हम सारे पैसे माफ करने को तैयार मगर हंगामा करने वाले पेरेंट्स पहले स्कूल को सौंपे अपना फाइनेंशियल रिकॉर्ड : MD मनवीर सिंह

जालंधर (अमन बग्गा): नए सत्र की शुरुआत होने वाली है और अभिभावक निजी स्कूलों की मनमानी के कारण फिर परेशान होने लगे हैं। निजी स्कूल कब किस नाम पर फीस बढ़ा दें, कोई भरोसा नहीं है। इस तरह बढऩे वाली फीस का असर उनके साल भर के बजट पर पडऩे से वे परेशानी में आ जाते हैं। इसी कड़ी में जालंधर में सीटी स्कूल मकसूंदा के खिलाफ पेरेंट्स का आरोप है कि स्कूल कोर्ट के आदेश के बावजूद परिजनों से एनुअल फीस की मांग कर रहा है।

इसे लेकर परिजनों में बेहद गुस्सा देखा जा रहा है। आज अभिभावकों ने स्कूल के बाहर इक्ट्ठा होकर उनकी इस मनमानी का कड़ा विरोध जताया औऱ आरोप लगाया कि स्कूल अदालत के आदेश की अवमानना कर रहा है।

मौके पर मौजूद परिजनों का कहना था कि उन्होंने स्कूल में सारी पैंडिंग फीस जमा करवा दी है लेकिन अब रिज़ल्ट के समय पर स्कूल के प्रबंधक एनुअल चार्जस जमा करवाने को कह रहे हैं।

वहां मौजूद बच्चों में से एक के परिजन ने बताया कि उन्होंने करीब 35 हजार रुपए स्कूल में जमा करवाए हैं बावजूद इसके एनुअल फीस के नाम पर स्कूल उनसे अब 10 हजार रुपए की और मांग कर रहा है। उन्होंने कहा कि अदालत के आदेश के अनुसार स्कूल ट्यूशन पीस के इलावा कोई फीस नहीं ले सकते, बावजूद इसके स्कूल अपनी मनमानी कर रहा है।

इस बारे में जब CT के MD स. मनवीर सिंह चन्नी से बात हुई तो उन्होंने बताया कि हाइकोर्ट के ऑर्डर के मुताबिक 70 प्रतिशत एनुअल चार्ज लेने है 100 प्रतिशत ट्यूशन फीस लेने है और जो पेरेंट्स किश्तों में पैसे देना चाहते है उन की किश्तें भी कर रहे है। जो पेरेंट्स पैसे देने में पूरी तरह से सक्षम नहीं है वह स्कूल में पिछले 3 वर्ष का फाइनेंशियल रिकॉर्ड, बैंक स्टेटमेंट सौंप दे। अगर सच में उन की आय कम हुई है तो फीस माफ की जा सकती है।

उन्होंने कहा कि हंगामा करने वाले अभिवावकों को चाहिए कि वह साबित करें कि वह सच में फीस देने के लायक नहीं है तो हम फाइनेंशियल रिकॉर्ड देखने के बाद एनुअल चार्ज व ट्यूशन फीस माफ कर देंगे। उन्होंने कहा कि 70% पेरेंट्स पैसे दे चुके है। उन्होंने कहा कि लगभग 25/30 प्रतिशत पेरेंट्स है जो फीस नही दे रहे है। उन्होंने बताया कि हम खुद फंसे पड़े है हमने भी स्कुल के टीचर्स व अन्य कर्मचारियों की सैलरी देनी है।