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सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार के खिलाफ पुलिस को कार्रवाई करने से रोका, जानें क्या है पूरा मामला

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को त्रिपुरा पुलिस को राज्य में कथित सांप्रदायिक हिंसा के बारे में एक पत्रकार के ट्वीट के संबंध में ट्विटर इंक को दिए गए नोटिस पर कार्रवाई करने से रोक दिया। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और ए एस बोपन्ना की पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी किया और समीउल्लाह शब्बीर खान की याचिका को अन्य लंबित मामलों के साथ सुनवाई के लिए जोड़ दिया।

बेंच ने कहा कि नोटिस जारी करें। पीठ ने कहा कि आगे के आदेश लंबित होने तक पहले प्रतिवादी (पुलिस अधीक्षक साइबर अपराध) को इन कार्यवाही में याचिकाकर्ता के संबंध में 22 नवंबर 2021 के निर्देश पर कार्रवाई करने से रोकने के लिए एक अंतरिम निर्देश होगा।

खान की ओर से पेश अधिवक्ता शारुख आलम ने कहा कि त्रिपुरा पुलिस के पुलिस अधीक्षक (साइबर अपराध) सेल द्वारा सीआरपीसी की धारा 91 के तहत ट्विटर इंक को जारी नोटिस में याचिकाकर्ता का ब्राउजिंग इतिहास, उसका टेलीफोन नंबर और आईपी पता मांगा गया है। साथ ही याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले की जांच के लिए ट्वीट को सुरक्षित रखने को कहा है।

आलम ने यह जानना चाहा कि कब से सांप्रदायिक हिंसा के बारे में लिखना हिंसा में योगदान देना हो गया है और साथ ही कहा कि पुलिस का नोटिस याचिकाकर्ता की निजता पर हमला है। पीठ ने आलम की इस दलील को माना कि याचिकाकर्ता ने अपने ट्विटर अकाउंट से धार्मिक स्थलों की हिंसा और तोड़फोड़ का जिक्र करते हुए एक ट्वीट करते हुए त्रिपुरा पुलिस को टैग किया था।

Supreme Court stops the police from taking action against the journalist, know what is the whole matter