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28 रुपए का उधार चुकाने के लिए अमेरिका से भारत आया नौसेना कमांडर, 68 साल पहले लिए थे उधार, खूब हो रही तारीफ

हिसार: आज किसी को उधार दे दो तो उससे पैसे वापस लेने के लिए कई चक्‍कर काटना होंगे। लेकिन दुनिया में एक शख्‍स ऐसा भी है, जो उधार लिए महज 28 रुपए देने के लिए अमेरिका से भारत आ गया। दरअसल 67 साल पहले बीएस उप्पल ने मोती बाजार स्थित हलवाई से 28 रुपए उधार लिए थे। जिन्हें वापस करने के लिए वो अमेरिका से अब हिसार आए हैं।

हरियाणा के हिसार का यह रोचक मामला बहुत वायरल हो रहा है। दरअसल शुक्रवार को यहां एक शख्य अपनी वर्षों पुरानी 28 रुपए की उधारी चुकाने के लिए अमेरिका से हिसार वापस आया। वह शख्स कोई और नहीं बल्कि हरियाणा में प्रथम नौसेना बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित होने वाले नौसेना कमांडर बीएस उप्पल हैं। दरअसल बीएस उप्पल सेवानिवृत्ति के बाद अपने पुत्र के पास अमेरिका में रहते हैं। जिसके बाद उन्हें हिसार आने का मौका ही नहीं मिला और आज वो खासतौर से अपनी उधारी के 28 रुपए चुकाने के लिए आए हैं।

बीएस उप्पल वर्षों बाद अपने हिसार के मोती बाजार स्थित दिल्ली वाला हलवाई के पास पहुंचे और दुकान के स्वामी विनय बंसल को बताया कि ‘तुम्हारे दादा शम्भू दयाल बंसल को मुझे 1954 में 28 रुपए देने थे, लेकिन मुझे अचानक शहर से बाहर जाना पड़ गया और नौसेना में भर्ती हो गया। आपकी दुकान पर मैं दही की लस्सी में पेड़े डालकर पीता था। जिसके 28 रुपए मुझे देने थे’

बीएस उप्पल ने बताया कि फौजी सेवा के दौरान हिसार आने का मौका नहीं मिला और रिटायर होने के बाद मैं अमेरिका अपने पुत्र के पास चला गया। वहां मुझे हिसार की दो बातें हमेशा याद रहती थीं। एक तो आपके दादा जी के 28 रुपए देने थे और दूसरा, मैं हरजीराम हिन्दू हाई स्कूल में दसवीं पास करने के बाद नहीं जा सका था। आप की राशि का उधार चुकाने और अपनी शिक्षण संस्था को देखने के लिए मैं आज विशेष रूप से हिसार में आया हूं।

बीएस उप्पल ने दुकान स्वामी विनय बंसल के हाथ में ब्याज सहित दस हजार रुपए की राशि रखी तो उन्होंने लेने से इंकार कर दिया। तब उप्पल ने आग्रह किया कि ‘मेरे सिर पर आपकी दुकान का ऋण बकाया है, इसे चुकता करने के लिए कृपया यह राशि स्वीकार कर लो। मैं अमेरिका से विशेष रूप से इस कार्य के लिए आया हूं।’ तब विनय बंसल ने मुश्किल से उस राशि को स्वीकार किया और बीएस उप्पल ने राहत की सांस ली। 

Naval Commander came to India from America to repay the loan of 28 rupees, borrowed 68 years ago, getting a lot of praise