
चंडीगढ़: पंजाब में बाढ़ की विनाशकारी स्थिति पर दायर जनहित याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस समय सरकारी अधिकारी और पूरा प्रशासनिक अमला जमीनी स्तर पर राहत और बचाव कार्यों में जुटा हुआ है, ऐसे में उन्हें हलफनामा दाखिल करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे काम से ध्यान भटकेगा।
मुख्य न्यायाधीश शील नागू की खंडपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा, अभी हमारी प्राथमिकता बाढ़ में फंसे लोगों को बचाना और हालात को संभालना है। कानूनी प्रक्रिया बाद में भी पूरी की जा सकती है। अदालत का मानना था कि यदि इस समय सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया जाता है, तो अधिकारी बचाव कार्यों को छोड़कर अदालती कार्यवाही में उलझ जाएंगे।

वहीं दूसरी ओर, राज्य में बाढ़ की स्थिति अत्यंत गंभीर बनी हुई है। अब तक मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश के सभी 23 जिले बाढ़ की चपेट में हैं और 1900 से ज्यादा गांव जलमग्न हो चुके हैं। इस आपदा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 43 हो गई है और लगभग 4 लाख लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं।
सरकार और विभिन्न एजेंसियों द्वारा राहत एवं बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चलाए जा रहे हैं। अमृतसर के रमदास इलाके में रावी नदी पर टूटे धुस्सी बांध की मरम्मत का काम लगातार जारी है ताकि पानी को और फैलने से रोका जा सके। हालांकि, पठानकोट से लेकर तरनतारन तक के कई इलाकों में नदियों का जलस्तर कुछ कम होने से थोड़ी राहत मिली है, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। प्रशासन एनडीआरएफ, सेना और स्थानीय टीमों की मदद से प्रभावित लोगों तक खाद्य सामग्री, दवाइयां और अन्य आवश्यक वस्तुएं पहुंचाने में जुटा है।
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High Court refuses immediate hearing










