चंडीगढ़: चंडीगढ़ में एक आवासीय परियोजना में फ्लैट का समय पर कब्जा न देने के मामले में उपभोक्ता आयोग ने शिकायतकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि किसी व्यक्ति को फ्लैट के कब्जे के लिए अनिश्चितकाल तक इंतजार नहीं कराया जा सकता।
शिकायत के अनुसार, बिल्डर ने हाउसिंग प्रोजेक्ट शुरू होने के दो साल बाद भी ग्राहक को फ्लैट का कब्जा देने में विफलता दिखाई। इसके चलते आयोग ने बिल्डर को 50,000 रुपये की बुकिंग राशि 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ लौटाने का निर्देश दिया है।
चंडीगढ़ निवासी अर्चना देवी ने जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में शिकायत दर्ज करवाई थी। उन्होंने मई 2017 में मोहाली सेक्टर-115 स्थित हाउसिंग प्रोजेक्ट में अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम के तहत 2 बीएचके फ्लैट बुक किया था। बुकिंग राशि के तौर पर उन्होंने 1 सितंबर 2017 को 11,000 रुपये दिए और फ्लैट की कुल कीमत 8.75 लाख रुपये में से 22 नवंबर 2017 को 39,000 रुपये का भुगतान किया।
शिकायतकर्ता का कहना है कि 1 दिसंबर 2017 को बुकिंग की पुष्टि प्राप्त हुई, लेकिन बिल्डर ने कभी भी शेष राशि जमा करने की मांग नहीं की और न ही परियोजना की प्रगति के बारे में कोई जानकारी दी। कई बार बिल्डर के कार्यालय जाकर जानकारी हासिल करने की कोशिश की गई, लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला।
बिल्डर ने आयोग में अपना जवाब देते हुए सभी आरोपों को नकारा और कहा कि शिकायतकर्ता समय पर भुगतान नहीं कर सकी थी, जिससे परियोजना में देरी हुई। उन्होंने सेवा में कमी या अनुचित व्यापार व्यवहार के आरोपों से भी इंकार किया और शिकायत को खारिज करने की मांग की।
आयोग ने बिल्डर की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि बुकिंग राशि लेते समय कब्जा देने की निश्चित तारीख बतानी चाहिए थी। आयोग ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता को सही जानकारी न देना और उसकी मेहनत की कमाई को रोकना अनुचित व्यापार व्यवहार है। इस प्रकार, बिल्डर द्वारा फ्लैट का कब्जा न देना सेवा में कमी का प्रमाण है। आयोग ने बिल्डर को आदेश दिया कि वह शिकायतकर्ता को 50,000 रुपये की राशि 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ लौटाए और 10,000 रुपये अतिरिक्त क्षतिपूर्ति के तौर पर भी प्रदान करे।
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Consumer Commission fined the builder in Chandigarh, gave this decision in favor of the complainant; know the whole case