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सनातन संस्कृति रक्षा दल (SSRD) के उम्मीदवारों की शर्मनाक हार, सभी की हुई जमानतें जब्त, इस बड़ी वजह से संत श्री आशाराम जी बापू के करोड़ों भक्तों ने SSRD पार्टी को दिखाया ठेंगा, SSRD के उम्मीदवारों को NOTA से भी कई गुणा कम वोट मिले, जानिए (SSRD) के सभी उम्मीदवारों को कौन सी सीट से पड़े कितने वोट

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जालंधर ( अमन बग्गा ) हाल ही में अस्तित्व में आई भारत की नई राजनीतिक पार्टी सनातन संस्कृति रक्षा दल (SSRD) नवजन्में बच्चें की भांति लड़खड़ाते कदमों से आगे बढ़ने से पहले ही औंधे मुंह गिर पड़ी। देशभर में मात्र 7 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ने वाली SSRD पार्टी के उम्मीदवारों की ऐसी खस्ता हालत हुई कि उन्हें जमानतें जब्त करवा कर शर्मनाक हार के कड़वे घुट पीने पड़े।

शर्मनाक हार का आलम इस कदर छाया कि सातों उम्मीदवारों को जो वोट पड़े उस से कई गुणा ज्यादा वोट तो NOTA को पड़ गए। मतलब SSRD अन्य दलों को क्या हरा पाती वह तो नोटा को भी नही हरा पाई।

जानिये लाखों साधकों ने क्यों नही SSRD को डाली वोट ?

चुनाव लड़ने और MP बनने के ख़्वाब देखने में किंचित मात्र बुराई नही , ये देश के हरेक नागरिक का सवैधानिक अधिकार है।
लेकिन सनातन संस्कृति रक्षा दल (SSRD) के नेता और उम्मीदवार जिस हिन्दू संत परम् पूजनीय संत श्री आशाराम बापू जी के करोड़ो भक्तों की वोट से अपनी नैया पार लगा कर सांसद की कुर्सी पर काबिज होने के ख्वाब देख रहे थे उन नेताओं ने पार्टी बनाने से पहले हिन्दू संत से पार्टी बनाने व चुनाव लड़ने की आज्ञा या देश भर के प्रमुख सक्रिय व जिम्मेदार साधकों से बातचीत कर सलाह लेने की खिदमत तक नही उठाई।

आश्रम ने क्यों नही दिया कोई सहयोग?

बताया जा रहा है कि पार्टी बनने के बाद वोट के लिए समर्थन मांगने के लिए हिन्दू संत की चौखट पर SSRD के कुछ नेता जरूर पहुंचे थे। लेकिन वहां से निराश लौट कर आना पड़ा। इसी लिए हिन्दू संत की तरफ से समर्थन न मिलने के बाद अहमदाबाद आश्रम मुख्यालय को मासिक पत्रिका में भी किसी भी राजनीतिक पार्टी का समर्थन न करने की घोषणा करनी पड़ी। आप को बता दें बिना गुरु आज्ञा के आश्रमवासियों की तरफ से सहयोग मिल पाना असम्भव है ।

और जब हिन्दू संत की तरफ से और आश्रम की तरफ खुलकर समर्थन नही मिला तो करोड़ों भक्तों से SSRD को कैसे सहयोग मिल पाता। इस के बावजूद SSRD पार्टी ने चुनाव में उम्मीदवार उतारें और फिर साधकों ने उन्हें चुनाव में ठेंगा दिखा डाला।

जिस का हश्र ये हुआ कि लाखों वोटों की आस लगाने वाले SSRD के कई उम्मीदवारों को तो 500 वोट भी पूरे नही मिले। 

ये रही SSRD की हार की बड़ी वजहें?

SSRD के नेता भले इस करारी हार की कई वजहें निकाल कर आत्ममंथन कर रहे होंगे लेकिन सब से बड़ी वजह ये रही कि हिन्दू संत की बिना आज्ञा के पार्टी बनाना और बिना आज्ञा चुनाव लड़ना और बिना आज्ञा साधकों से वोट व अन्य सहयोग मांगना, पार्टी के पास कोई बड़ा प्रसिद्ध चेहरा न होना और राजनीतिक सूझबूझ रखने वाले नेताओं की कमी, योजनाबद्ध तरीके से कार्य न करना, हार की बड़ी वजह मानी जा रही है।

भविष्य में SSRD पार्टी को अगर पार्टी को मजबूत करना है तो हार के कारणों का आत्ममंथन कर ग़लतियों को सुधारते हुए आगे बढ़ना होगा।

जानिए (SSRD) के सभी उम्मीदवारों को कौन सी सीट से पड़े कितने वोट

SSRD को सात सीटों पर कुल 7321 वोट ही प्राप्त हुए

1.इलाहाबाद सीट (यूपी)- SSRD के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम गुरू चरण दास
इलाहाबाद से चुनाव लड़े उन्हें 2278 वोट पड़े और 7610 लोगों ने NOTA का बटन दबाया

2. नई दिल्ली सीट -राष्ट्रीय मंत्री राजेश सेतिया (गोलू) नई दिल्ली से चुनाव लड़े। उन्हें मात्र 332 और NOTA को 6585 वोट पड़े

3.साउथ दिल्ली सीट -दिलीप कुमार को 472 और NOTA को 5247 वोट पड़े

4.चांदनी चौक सीट -विशाल खन्ना को 485 और NOTA को 5124 वोट पड़े

5.भोपाल सीट(मध्यप्रदेश) – CA प्रमोद भोजवानी को 571 और NOTA को 5247 वोट पड़े

6.ठाणे सीट (महाराष्ट्र) हेमंत किसन पाटिल ने SSRD की तरह से सब से ज्यादा 2619 प्राप्त किये और NOTA को 20365 वोट पड़े

7 मुम्बई नार्थ ईस्ट सीट से विनोद नारायण चौगुले को 564 और NOTA को 12446 वोट पड़े।

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