You are currently viewing भारत माता मंदिर हरिद्वार के संस्थापक महामंडलेश्वर स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि हुए ब्रह्मलीन , जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि के गुरु स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि को पद्मभूषण पुरस्कार से किया गया था सम्मानित

भारत माता मंदिर हरिद्वार के संस्थापक महामंडलेश्वर स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि हुए ब्रह्मलीन , जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि के गुरु स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि को पद्मभूषण पुरस्कार से किया गया था सम्मानित

भारत माता मंदिर, हरिद्वार के संस्थापक और निवृत्तमान शंकराचार्य महामंडलेश्वर स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि (87 साल) का मंगलवार सुबहनिधन हो गया। वे लंबे वक्त से बीमार थे। बुधवार को हरिद्वार स्थित भारत माता मंदिर ट्रस्ट के राघव कुटीर में उन्‍हें समाधि दी जाएगी।

19 सिंतबर, 1932 को आगरा में जन्मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि के गुरु थे। 2015 में उन्हें पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि ने 1983 में हरिद्वार में भारत माता मंदिर की स्थापना की थी।65 से अधिक देशों की यात्रा की थी। 29 अप्रैल 1960 अक्षय तृतीया के दिन 26 वर्ष की आयु में ज्योतिर्मठ भानपुरा पीठ पर जगद्गुरु शंकराचार्य पद पर उन्हें प्रतिष्ठित किया गया। भानपुरा पीठ के शंकराचार्य के तौर पर करीब नौ वर्षों तक धर्म और मानव सेवा करने के बाद उन्होंने 1969 में स्वयं को शंकराचार्य पद से मुक्त कर लिया था।

स्वामी जी की बाल्यकाल से आध्यात्म में रुचि थी

स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि का परिवार मूलत: सीतापुर (उत्तर प्रदेश) का निवासी था। बाल्यकाल से ही संन्यास और अध्यात्म में रुचि के चलते उन्होंने सांसारिक जीवन से बहुत कम उम्र में ही संन्यास ले लिया था। संन्यास से पहले वे अंबिका प्रसाद पांडेय के नाम से जाने जाते थे। उनके पिताशिवशंकर पांडेय को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

भारत माता मंदिर का करवाया निर्माण : 1983 में अपने आप में अनोखे 108 फुट ऊंचे आठ मंजिला भारत माता मंदिर की स्थापना कर पद्मभूषण निवृत्त शंकराचार्य महामंडलेश्वर स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी पूरे विश्व में चर्चा का केंद्र बन गए थे।

आठ मंजिला इमारत के रूप में यह एक ऐसा मंदिर है, जिसे भारत देश के निर्माण और रक्षा में सर्वस्व त्याग कर आहुति देने वाले भारतमाता के सपूतों को समर्पित किया गया है, जहां रोजाना उनकी आराधना की जाती है।

 

भारत माता मन्दिर में विभिन्न तलों पर भारत के महान् पुरुषों, नारियों, क्रान्तिकारियों, समाजसेवियों आदि की प्रतिमाएँ लगी हैं। इनको देखते हुए दर्शक जब सबसे नीचे आता है, तो वहाँ अखण्ड भारत के मानचित्र के आगे सुजलाम्, सुफलाम् भारत माता की विराट मूर्ति के दर्शन कर वह अभिभूत हो उठता है। अन्य मन्दिरों की तरह यहाँ पूजा, भोग, स्नान आदि कर्मकाण्ड नहीं होते। भारत माता मन्दिर और समन्वय सेवा ट्रस्ट द्वारा अनेक सेवा कार्य चलाये जाते हैं। इनमें वेद विद्यालय, विकलांग एवं कुष्ठजन सेवा, चिकित्सा वाहन, वृद्धाश्रम, दृष्टिहीन सेवा, शहीद परिवार सेवा, सफाईकर्मी सेवा आदि प्रमुख हैं।