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बच्चों की सुरक्षा में कैप्टन सरकार नाकाम, हालात काबू नहीं कर सकते तो इस्तीफा दें कैप्टन – किशनलाल शर्मा. पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति मंच ने बच्चों के अपहरण की वारदातों के विरोध में पुलिस कमिश्नर को सौंपा मांगपत्र

जालंधर(PLN) पंजाब में लगातार बढ़तीं बच्चों के अपहरण की वारदातों से दहशत का माहौल बनता जा रहा. पहले अपराधी सिर्फ फिरौती के लिए अपहरण करते थे लेकिन अब ऐसा गिरोह सक्रिय हो गया है जिसे फिरौती से कोई लेना देना नहीं होता. ऐसे में मासूम बच्चों की वापसी की उम्मीद न के बराबर होती है. पंजाब की कानून व्यवस्था के लिए यह विस्फोटक स्थिति है और पंजाब सरकार के लिए बेहद शर्मनाक हालात हैं. कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार पंजाब के मासूमों को एक सुरक्षित माहौल देने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है. प्रदेश में आपातकाल जैसे हालात बनते जा रहे हैं. ऐसे में कैप्टन अमरिंदर सिंह को राजनीति से ऊपर उठकर तत्काल एक सर्वदलीय बैठक बुलाकर समस्या का समाधान निकालना चाहिये. साथ ही प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को तलब कर उन्हें बच्चों की सुरक्षा की दिशा में ठोस कदम उठाने के निर्देश देने चाहिए. यह बातें पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति मंच के प्रदेश प्रधान किशनलाल शर्मा और जिला अध्यक्ष संजय पराशर ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहीं. वह जालंधर में पुलिस कमिश्नर को बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने संबंधी मांगपत्र सौंपने के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले राजधानी दिल्ली में भी ऐसा ही गिरोह सक्रिय हुआ था. दिल्ली पुलिस की तत्परता से बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई थी. अब पंजाब में हालात बदतर होते जा रहे हैं. पिछले कुछ महीनों में पंजाब के विभिन्न शहरों में हुई अपहरण की वारदातों पर नजर डालें तो जालंधर में आठ महीनों में 16 बच्चों का अपहरण, पुलिस चौकी नया नंगल में प्राथमिक स्कूल से बच्चे का अपहरण, राजपुरा में कोल्ड ड्रिंक लेने गए दो भाइयों का अपहरण, मोहाली में आइसक्रीम का लालच देकर बच्चे का अपहरण जैसी दर्जनों वारदातें सामने आईं. इनमें से 90 फीसदी वारदातें ऐसी थीं जिनसे फिरौती का कोई लेना देना नहीं था. अत: यह स्पष्ट है कि इन वारदातों का संबंध मानव तस्करी अथवा मानव अंगों की तस्करी से है. ऐसे में सरकार को इस गिरोह का जल्द से जल्द पर्दाफ़ाश करना चाहिए वरना कई बेबस मासूम अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठेंगे. बच्चों के अपहरण की वारदातें पिछले कई महीनों से हो रही हैं लेकिन पुलिस अब तक अपराधियों के आसपास भी नहीं पहुंची. यह स्थिति बेहद चिंताजनक है. इससे स्पष्ट है कि सरकार और पुलिस की नीतियां समस्या के समाधान में सक्षम नहीं है. कैप्टन सरकार के हाथों से हालात आउट ऑफ कंट्रोल हैं. ऐसे में कैप्टन को सभी दलों को साथ लेकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाना चाहिए और डीजीपी को तत्काल तलब कर बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए. अगर सरकार बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकती तो उसे नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कर देना चाहिए. साथ ही अगर डीजीपी गिरोह का पर्दाफ़ाश करने में अक्षम हैं तो उन्हें भी पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं.
उन्होंने कहा कि वर्तमान में पुलिस की प्राथमिकता बच्चों के अपहरण में शामिल गिरोह को बेनकाब करना और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना होनी चाहिए न कि बाइक सवारों के चालान काटने की. पुलिस के साथ ही खुफिया एजेंसियों की भी मदद लेकर गिरोह के सक्रिय सदस्यों को सलाखों के पीछे पहुंचाना चाहिए. अगर अब भी कैप्टन सरकार मामले पर कड़ा रूख अख्तियार नहीं करती है तो पंजाब की जनता बेबस मासूमों की खातिर सड़कों पर उतरने को मजबूर हो जाएगी. अब अगर एक भी बच्चा लापता हुआ तो उसकी जिम्मेदार सिर्फ कैप्टन सरकार होगी.
मांगपत्र सौंपने वालों में अशोक गांधी, डॉ. विनीत शर्मा, गुरदेव सिंह देवी, मनीष शर्मा, सरदार गुरजीत सिंह, जुगराज, रंजीत सिंह, यशपाल सिंह, अजय महंत, नरेश कुमार, विनय कुमार, जसपाल सिंह आदि शामिल थे.